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Showing posts from May, 2020

Hadeeth Bukhari: 5988

〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰 🍁 Rasoolullah ﷺ ne farmaaya: Beshak (Lafz) *Rahim* (Jis ke maani rishtedaari ke hain) Allah Ta'ala ke naam *Rahmaan* se liya gaya hai. {Yaani yeh rishtedaari Rahmaan ki rehmat ki ek shaakh hai, (aur isi nisbat se)} Allah Ta'ala ne is se farmaaya: Jo tujhe jodega main use jodoonga, aur jo tujhe todega main use todoonga. (Bukhari: 5988) 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰

8 शव्वाल (ब्लैक डे)

8 शव्वाल/ 21 अप्रैल 1925 ई० (ब्लैक डे) "जन्नत उल बक़ी शरीफ़ में मौजूद आले मुहम्मद (सल्लल्लाहु व अलैहि व आलेही वसल्लम) व असहाब ए रसूल के "मज़ारात ए मुक़द्दसा" को मिस्मार किया गया उनकी हुरमत को पामाल किया गया उनकी गुस्ताख़ी की गई 95 साल पहले बद'बख़्त गुस्ताख़ इब्ने गुस्ताख़ लानतियों ने अहलेबैत ए रसूल असहाब ए रसूल की क़ब्रों की बेहुरमती करने वाले और हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार की बेहुरमती करने वाले दोनों एक ही नज़रिये के लोग हैं इन ख़बीसों ने अहलेबैत व सहाबा की क़ब्रों पर भी बुल्डोज़र चलाये थे अल्लाह की लानत हो इन ख़बीसों पर नोट-राफ़ज़ीयत पर कलाम करने वालों को मैने अक़्सर ख़ारजियत व नासबियत पर ख़ामोश पाया है??? अफ़सोस..... https://youtu.be/lT05Y-vzDCQ 8 shawwal Tareekh e islam ka ek shiyah din ( one of the darkest day in history of islam) . April 1995 (8 shawwal, 1345 hijri) ke roz madina sharif ka sabse pehla ka Qabristan Jannat ul Baqi ko mismaar ( toodh) kar diya tha. Jannat ul baqi mein islam ki buzurg hastiyon ke drgah, roze o Mazar mubarak the. Is Qabrastan me _*

6 Shawwaal

*818wa URS MUBARAK* *Shezadaye Ghous ul Aazam Ghous ul Wakt Hazrat Syedna Abu Bakar Taj-ud-Deen Shaykh Syed Abdul Razzaq Al Hasni wal Hussaini (Rehmatullahi Tala Alaih)* *Aapki Wiladat 18 Zil Qa'dah 528 Hijri Mutabik 9 September 1134 Esvi Baroz Itvar Hui, Aapka Wisal 6 Shawwaal 623 Hijri Mutabik 7 May 1207 Esvi Me Hua, Aap Imaam ul Aulia Hazrat Shaykh Syed Abdul Qadir Jilani Almaroof Sarkar Ghous ul Aazam (Razi Allahu Tala Anhu) Ke Sahabzade wa Khalifa Hai, Aapke Khalifa Hazrat Shaykh Syed Abu Suhaleh (Rehmatullahi Tala Alaih) Hain, Aapka Mazar Mubarak Baghdad Sharif, Iraq Me Marjai Khaliak Hain...

Hadith sahih Bukhari 60

नौवीं सदी का बग़दाद

*नौवीं सदी का बग़दाद* *बग़दाद की बुनियाद सन 762 में अबू जफ़र बिन अलमंसूर ने बग़दाद नाम के एक छोटे से गांव के क़रीब रखी थी.कुछ ही दशकों के भीतर यह बस्ती दुनिया के इतिहास के बड़े शहरों में शामिल हो गई.* *हिंदुस्तान से लेकर मिस्र तक के शिक्षाविद, विद्वान, कवि, दार्शनिक, वैज्ञानिक और विचारक यहां पहुंचने लगे.* *इसी ज़माने में मुसलमानों ने चीनियों से काग़ज़ बनाने का तरीक़ा सीख लिया और देखते ही देखते शहर शैक्षिक गतिविधियों से भर गया.* नौवीं सदी में बग़दाद का हर शहरी पढ़ लिख सकता था. *इतिहासकार टरटॉयस चैंडलर के शोध के मुताबिक़ सन 775 से लेकर सन 932 तक जनसंख्या के लिहाज़ से बग़दाद दुनिया का सबसे बड़ा शहर था.* *इसके अलावा इसे दस लाख की आबादी तक पहुंचने वाले दुनिया का पहला शहर होने का सम्मान प्राप्त था.* *वहां यूनानी, लातिनी, संस्कृत, सीरियन और दूसरी भाषाओं की किताबें भी अनुदित होने लगीं.* *यही किताबें सदियों बाद पूरब पहुंचीं और उन्होंने पूरब में अहम किरदार अदा किया. अलजेब्रा, एलगोरिद्म, अलकेमी, अल्कोहल आदि जैसे दर्जनों शब्द बग़दाद की इसे सुनहरे दौर की देन हैं.* *बग़दाद में बसने वाली चंद मशहूर हस

SERMON 108

ومن خطبة له (عليه السلام) [في بيان قدرة الله وانفراده بالعظمة وأمر البعث] [قدرة الله] كُلُّ شَيْء خَاشِعٌ لَهُ، وَكُلُّ شَيْء قَائِمٌ بِهِ: غِنى كُلِّ فَقِير، وَعِزُّ كُلِّ ذَلِيل، وَقُوَّةُ كُلِّ ضَعِيف، وَمَفْزَعُ كُلِّ مَلْهُوف، مَنْ تَكَلَّمَ سَمِعَ نُطْقَهُ، وَمَنْ سَكَتَ عَلِمَ سِرَّهُ، وَمَنْ عَاشَ فَعَلَيْهِ رِزْقُهُ، وَمَنْ مَاتَ فَإِلَيْهِ مُنْقَلَبُهُ. لَمْ تَرَكَ الْعُيُونُ فَتُخْبِرَ عَنْكَ، بَلْ كُنْتَ قَبْلَ الْوَاصِفِينَ مِنْ خَلْقِكَ، لَمْ تَخُلُقِ الْخَلْقَ لِوَحْشَة، وَلاَ اسْتَعْمَلْتَهُمْ لِمَنْفَعَة، وَلاَ يَسْبِقُكَ مَنْ طلَبْتَ، وَلاَ يُفْلِتُكَ  مَنْ أَخَذْتَ، وَلاَ يَنْقُصُ سُلْطَانَكَ مَنْ عَصَاكَ، وَلاَ يَزِيدُ في مُلْكِكَ مَنْ أَطَاعَكَ، وَلاَيَرُدُّ أَمْرَكَ مَنْ سَخِطَ قَضَاءَكَ، وَلاَيَسْتَغْنِي عَنْكَ مَنْ تَوَلَّى عَنْ أَمْرِكَ. كُلُّ سِرٍّ عِنْدَكَ عَلاَنِيَةٌ، وَكُلُّ غَيْب عِنْدَكَ شَهَادَةٌ. أَنْتَ الاَْبَدُ فَلاَ أَمَدَ لَكَ، وَأَنْتَ الْمُنْتَهَى فَلاَ مَحِيصَ عَنْكَ، وَأَنْتَ الْمَوْعِدُ فَلاَ مَنْجَى مِنْكَ إلاَّ إِلَيْكَ، بِيَدِكَ نَاصِيَةُ كُ

5 Shawwal

*#5 Shawwaal* *#Yaum e Wisaal* *Zoja e Rasool Ummul Mo'mineen Hazrat Sawdah Bint Zamah* *(Salam un Aleha) *Aapki Wiladat 569 Esvi Me Hui, Aapka Wisal 5 Shawwaal 23 Hijri Mutabik 14 August 644 Esvi Baroz Hafta Hua, Shehansha e Qull Aalam Huzoor Ahmad e Mujtuba Muhammad Mustufa (Sallallāhu Ta'ala Alaihi wa Aala Aalehi Wa'sallam) Ne Dusra Nikah Aapse Farmaya, Aapka Mazar Mubarak Jannat ul Baqi Sharif, Madina Pak, Saudia Arabia Me Marjai Khaliak Hain *5 Shawwaal ul Mukarram* *824wa URS MUBARAK* *Shaykh ul Islam Khawaja e Khawajgan Hazrat Khwaja Usman Harooni (Rehmatullahi Tala Alaih)* *Aapki Wiladat 510 Hijri (1116 Esvi) Me Haroon (Iran) Me Hui, Aapka Wisal 5 Shawwaal 617 Hijri Mutabik 3 December 1220 Esvi Baroz Jumerat Hua, Aap Hazrat Haji Shareef Zindani Chishty (Rehmatullahi Tala Alaih) Ke Mureed wa Khalifa Hai, Aapke Khalifa Sultan ul Hind Hazrat Khawaja Syed Moinuddin Hasan Chishty Sarkar Khawaja Gareeb Nawaz (Rehmatullahi Tala Alaih) Hai, Aap Chishty Maudoodi Silsile Ke S

Jannat_ul_Baqi_Kay_Fazail

https://youtu.be/Z4UWTKiRlqU 8 शव्वाल/ 21 अप्रैल 1925 ई० (ब्लैक डे) "जन्नत उल बक़ी शरीफ़ में मौजूद आले मुहम्मद (सल्लल्लाहु व अलैहि व आलेही वसल्लम) व असहाब ए रसूल के "मज़ारात ए मुक़द्दसा" को मिस्मार किया गया उनकी हुरमत को पामाल किया गया उनकी गुस्ताख़ी की गई 95 साल पहले बद'बख़्त गुस्ताख़ इब्ने गुस्ताख़ लानतियों ने अहलेबैत ए रसूल असहाब ए रसूल की क़ब्रों की बेहुरमती करने वाले और हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार की बेहुरमती करने वाले दोनों एक ही नज़रिये के लोग हैं इन ख़बीसों ने अहलेबैत व सहाबा की क़ब्रों पर भी बुल्डोज़र चलाये थे अल्लाह की लानत हो इन ख़बीसों पर नोट-राफ़ज़ीयत पर कलाम करने वालों को मैने अक़्सर ख़ारजियत व नासबियत पर ख़ामोश पाया है??? अफ़सोस.....

Hadeeth आले रसूल ( सैयद ) की शान

*आले रसूल ( सैयद ) की शान* - हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , " उस जालिम पर अल्लाह का सख्त अजाब हुआ जिसने मेरी ऐहलेबैत ( औलाद ) को तकलीफ पहुचाई....... - हजरते उस्माने गनी ( रदिअल्लाहो अन्हो ) से रिवायत है कि सरकार सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , " जिस सख्स ने दुनिया मे मेरी ऐहलेबैत ( सैयद ) से कोई नेकी , अच्छा सुलुक या अहसान किया फिर वो सैयद उसका बदला ना दे सका तो कयामत के दिन मै अपनी औलाद ( सैयद ) की तरफ से उनका पुरा बदला अदा करुंगा ( अबु नईम ) - हजरत जाबीर बीन अब्दुल्लाह ( रदिअल्लाहो अन्हो ) से रिवायत है की , हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने ईर्शाद फरमाया , " ऐ लोगो ! जो सख्स ऐहलेबैत ( सैयद ) से बुग्ज व अदावत रखेगा उसे कयामत के दिन अल्लाह तअाला उसकी कब्र से ' यहुदी ' बनाकर उठायेगा ( तिबरानी ) - हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , खबरदार !!!! होके सुनलो , जो सख्स ऐहलेबैत ( सैयद ) आले रसूल से बुग्ज और अदावत मै मरा वो कयामत के दिन ऐसी हालत मे उठेगा कि उसकी दोनो आंखो के दरमियान लिखा होगा , " अल्लाह तआला की रहमत से महरुम ह

Hadith on (Hassad) jealousy

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टिड्डी

*टिड्डी-अल्लाह का लश्कर* *================================* *टिड्डी* - इसे अरबी में अलजराद और इंग्लिश में लोकस्ट कहते हैं,इसकी 2 किस्म होती है एक तो दरियाई और दूसरी सहरायी,अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि 📕 पारा 27,सूरह क़मर,आयत 7 *टिड्डी* - टिड्डी अल्लाह का लश्कर हैं और इनके सीनों पर ये इबारत लिखी हुई है *नहनू जुंदल्लाहिल आज़म* यानि हम अल्लाह का अज़ीम लशकर हैं,एक मर्तबा एक टिड्डी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसललम की बारगाह में हाज़िर हुई और कहती है कि हम 99 अंडा देते हैं अगर 100 हो जायें तो पूरी दुनिया को खा जायें,हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसललम अपने सहाबा से फ़रमाते हैं कि ये अल्लाह का लश्कर हैं लिहाज़ा इन्हें क़त्ल न करो,मतलब ये कि इन्हें युंही न मारो हां अगर नुक्सान पहुंचायें तो मार सकते हैं *टिड्डी* - मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसललम इरशाद फरमाते हैं कि अल्लाह जब किसी कौम को आज़माईश में मुब्तिला करना चाहता है तो टिड्डियों को भेज देता है,एक मर्तबा हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के ज़माने में टिड्डियां गायब हो गयीं तो

BLACK CARAWAY (KALONJI) (الحبةالسوداء) is cure of all diseases (Corana covid 19)

Hadith on BLACK CARAWAY (KALONJI) (الحبةالسوداء) The Prophet(صلى الله عليه وسلم) said, “Use the Black Seed for indeed, it is a cure for all diseases except death.” (Sahih al-Bukhari) Abu Hurayrah (رحمتہ اللہ علیہ)  narrated that the Prophet صلى الله عليه وسلم said:  “ Use this Black Seed regularly, because it is a cure for every disease, except death.”  [Al-Bukhari and Muslim] Hazrat Abu Hurairah States – “ I have heard from Rasool Allah (Pbuh) that there is cure for every disease in black seeds except death and black seeds are shooneez.” o   Salim Bin Abdullah narrates with reference to his father Hazrat Abdullah Bin Omar that Rasool Allah (Pbuh) said,  “Let fall these black seeds upon you, these contain cure for all diseases except death.” o   The same narration is found in Sanad-e-Ahmed from Hazrat Aisha (t) and in Ibn-al-Jozi and Trimizi from Abu Huraira. Hazrat Buraida narrates that Prophet Muhammad (Pbuh) stated –  “Shooneez is cure for all ailments except death.” Haz

Hadith on BLACK CARAWAY (KALONJI) (الحبةالسوداء)

  The Prophet(صلى الله عليه وسلم) said, "Use the Black Seed for indeed, it is a cure for all diseases except death." (Sahih al-Bukhari) Abu Hurayrah (رحمتہ اللہ علیہ)  narrated that the Prophet صلى الله عليه وسلم said:  “ Use this Black Seed regularly, because it is a cure for every disease, except death.”  [Al-Bukhari and Muslim] Hazrat Abu Hurairah States – “ I have heard from Rasool Allah (Pbuh) that there is cure for every disease in black seeds except death and black seeds are shooneez.” o   Salim Bin Abdullah narrates with reference to his father Hazrat Abdullah Bin Omar that Rasool Allah (Pbuh) said,  “Let fall these black seeds upon you, these contain cure for all diseases except death.” o   The same narration is found in Sanad-e-Ahmed from Hazrat Aisha (t) and in Ibn-al-Jozi and Trimizi from Abu Huraira. Hazrat Buraida narrates that Prophet Muhammad (Pbuh) stated –  “Shooneez is cure for all ailments except death.” Hazrat Abu Hurairah رضي الله عنه says th

Hadith Sunan Abu Dawood: Volume 3, hadees#892

Hazrat Soban RaziAllahu Anhu se Rivayat hai ki, Rasoolallah Sallallahu Alaihi wasallam ne farmaya : "Qareeb hai ki dusri Qaumein tum par aisi toot padengi jaise bhukha khane par toot padta hai, Kisi ne arz kiya, "Ya RasoolAllah sallallahu Alaihi Wasallam kya hum us waqt Bahut kam honge??" farmaya ki ,"Nahi balki tum us zamane mein bahut ziyada hoge lekin tum Sailab (ya Samundar) ke upar tairtey hue koode kachre (ya jhaag) ki tarah hoge Aur Allah ta'ala tumhare dushmano ke seene se tumhara khauf aur Ruaab nikal dega aur Allah tumhare seeno mein wahan daal dega.." Kisi ne kaha,"Ya Rasoollallah Sallallahu Alaihi Wasallam Wahan kya cheez hai"? Apne farmaya Duniya se muhabbat aur Maut ko na-pasand karna.." (Sunan Abu Dawood: Volume 3, hadees#892)

Qaul e Mawla Ali मौला अली अलैहिसलाम

दुनिया मे बेहतरीन इंसान वो है जिसके लिये कोई रोये ओर बदतरीन इंसान वो है *जिसकी वजह से कोई रोये..* *मौला अली अलैहिसलाम* Kbhi Kisi Ka Dil Mt Dukhao Ku K Mafi Mang Lene K Bawjaood Usey Dukh Jarur Rahega, Jaise Deewar Mai Lge Keel Ko Nikalne K Bawajud Nishan Reh Jata H. Moula Ali Alyhis Salam 💞🙌🏻,

Hadith sahih ibn e majh 1424

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Qaul e Mawla Ali Alahiassalam फरमान ए मौला अलीع

Baaz Logo K Marne Se Bht Se Log Mar Jate H., Or Baaz Logo K Marne Se Bht Se Log Jeene Lgte H., Ye Apne Apne Qirdar Ka Natija H., Moula Ali Alyhis Salam 🌹💞 Insan Ki Tamam Pareshania Do Bato Ki Vjh Se H., 1.Taqdeer Se Jyda Chahta H, 2.Waqt Se Pehle Chahata H.,, Moula Ali Alyhis Salam 🌹💞 *फरमान ए मौला अलीع* 👇🏻🙏🏻 अगर कोई तुमको सिर्फ अपनी जरूरत के वक़्त याद करता हो तो नाराज मत होना। बल्कि इस बात का फखर करना कि उसको अंधेरे मे रोशनी की जरूरत है और वह रोशनी तूम हो।❤ *फरमान ए मौला अलीع* 👇🏻🙏🏻 नेक लोगों की सोहबत (संगत) से हमेशा भलाई ही मिलती है क्योंकि हवा जब फूलों से गुजरती है तो वो भी खुशबूदार हो जाती है।🌹

Hadeeth हाकिम-फी-अल-मुस्तदक. 03/352, रकम-5359

हज़रत अबु-हुरैरा (रज) से रिवायत है कि नबी करीम सल्लाहो अलैहे-वाआलिही-वसल्लम ने फरमाया - "तुम में से बेहतरीन वह है, जो मेरे बाद मेरी एहलेबैत के लिए बेहतरीन है। (हाकिम-फी-अल-मुस्तदक. 03/352, रकम-5359)

Hadeeth एहलेबैत से मुहब्बत करने की हिदायत

हजरत ईमाम हसन बिन अली (अ.स.) बयान करते हैं कि हुजूर सल्लाहो अलैहे वाआलिही-वसल्लम ने फरमाया"हम एहलेबैत की मुहब्बत को लाज़िम पकड़ो, बस बेशक वह शख्स जो इस हाल में अल्लाह से मिला कि वह हमें मुहब्बत करता था. तो वह हमारी शफाअत के सदके में जन्नत में दाखिल होगा और उस ज़ात की कसम जिसके कब्जा-ए-कुदरत में मेरी जान है किसी शख्स को उसका अमल फाएदा नहीं देगा मगर हमारे हक की मारेफत के सबब (तबरानी-फी-मजनउ-ल-औसत. 02/380, रकम-2230) नोट- इस हदीस-ए-पाक में एहलेबैत से मुहब्बत करने की हिदायत दी जा रही है, और इससे यह भी पता चलता है कि आमाल किसी के भी हो उसको काम न आएँगे (मसालन - नमाज़, रोज़ा, हज, जकात, सदाकात) बगैर मुहब्बते रसूल-ओ-आले रसूल सल्लाहो अलैहे-वा-आलिही-वसल्लम के।

Hadeeth Sunan e dailami hadeeth no 1384

Allahu akbar

Hadith and view on टखनों का ढ़का होना

जो अज़ार टखनों के नीचे है वो जहन्नम में है_* *📕 बुखारी,जिल्द 7,हदीस 678* *📕 अत्तरगीब वत्तर्हीब,जिल्द 3,सफह 88* *📕 सुनन कुबरा,जिल्द 2,सफह 244* *_अल्लाह उस पर रहमत की नज़र नहीं फरमायेगा जो अपने कपड़ो को लटकाता है_* *📕 बुखारी,जिल्द 7,हदीस 679* *_एक शख्स नमाज़ पढ़ रहा था जिसकी अज़ार टखनों से नीचे थी तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उसको बुलाया और फरमाया कि जाकर फिर से वुज़ू कर और नमाज़ पढ़ कि तेरी नमाज़ नहीं हुई_* *📕 अबू दाऊद,जिल्द 1,सफह 100* *_यहां हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का मकसद सिर्फ उसको तम्बीह करना था वरना नमाज़ इस सूरत में भी हो जाती है,जैसा कि दूसरी हदीसे पाक में है कि_* *_जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने ये फरमाया कि जिसकी अज़ार टखनों के नीचे है तो वो जहन्नम में है तो हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अर्ज़ करते हैं कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अगर मैं अपनी तहबन्द का खास ख्याल ना रखूं तो अक्सर वो टखनों के नीचे ही रहती है तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि ऐ अबू बक्र तुम उनमें से नहीं हो जो तकब्बुर से ऐसा करते हैं_* *

SERMON 107

ومن خطبة له (عليه السلام) وهي من خطب الملاحم [ الله تعالى ] الْحَمْدُ للهِِ الْمُتَجَلِّي لِخَلْقِهِ بِخَلْقِهِ، وَالظَّاهِرِ لِقُلُوبِهِمْ بِحُجَّتِهِ، خَلَقَ الْخَلْقَ مِنْ غَيْرِ رَوِيَّة، إِذْ كَانَتِ الرَّوِيَّاتُ لاَ تَلِيقُ إِلاَّ بِذَوي الضَّمائِرِ، وَلَيْسَ بِذِي ضَمِير فِي نَفْسِهِ، خَرَقَ عِلْمُهُ بَاطِنَ غَيْبِ السُّتُرَاتِ ، وَأَحَاطَ بِغُمُوضِ عَقَائِدِ السَّرِيرَاتِ. منها: في ذكر النبي(صلى الله عليه وآله) اخْتَارَهُ مِنْ شَجَرَةِ الاَْنْبِيَاءِ، وَمِشْكَاةِ الضِّيَاءِ ، وَذُؤَابَةِ  الْعَلْيَاءِ، وَسُرَّةِ الْبَطْحَاءِ ، وَمَصَابِيحِ الظُّلْمَةِ، وَيَنَابِيعِ الْحِكْمَةِ. منها: طَبِيبٌ دَوَّارٌ بِطِبِّهِ، قَدْ أَحْكَمَ مَرَاهِمَهُ، وَأمْضى مَوَاسِمَهُ ، يَضَعُ من ذلِكَ حَيْثُ الْحَاجَةُ إِلَيْهِ، مِنْ قُلُوب عُمْي، وَآذَان صُمٍّ، وَأَلْسِنَة بُكْم; مُتَتَبِّعٌ بِدَوَائِهِ مَوَاضِعَ الْغَفْلَةِ، وَمَوَاطِنَ الْحَيْرَةِ; لَمْ يَسْتَضِيئُوا بِأَضْوَاءِ الْحِكْمَةِ، وَلَمْ يَقْدَحُوا بِزِنَادِ الْعُلُومِ الثَّاقِبَةِ; فَهُمْ فِي ذلِكَ كَالاَْنْعَامِ السَّائِمَةِ، وَالصُّخُور