*आले रसूल ( सैयद ) की शान*
- हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , " उस जालिम पर अल्लाह का सख्त अजाब हुआ जिसने मेरी ऐहलेबैत ( औलाद ) को तकलीफ पहुचाई.......
- हजरते उस्माने गनी ( रदिअल्लाहो अन्हो ) से रिवायत है कि सरकार सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , " जिस सख्स ने दुनिया मे मेरी ऐहलेबैत ( सैयद ) से कोई नेकी , अच्छा सुलुक या अहसान किया फिर वो सैयद उसका बदला ना दे सका तो कयामत के दिन मै अपनी औलाद ( सैयद ) की तरफ से उनका पुरा बदला अदा करुंगा
( अबु नईम )
- हजरत जाबीर बीन अब्दुल्लाह ( रदिअल्लाहो अन्हो ) से रिवायत है की , हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने ईर्शाद फरमाया , " ऐ लोगो ! जो सख्स ऐहलेबैत ( सैयद ) से बुग्ज व अदावत रखेगा उसे कयामत के दिन अल्लाह तअाला उसकी कब्र से ' यहुदी ' बनाकर उठायेगा
( तिबरानी )
- हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , खबरदार !!!! होके सुनलो , जो सख्स ऐहलेबैत ( सैयद ) आले रसूल से बुग्ज और अदावत मै मरा वो कयामत के दिन ऐसी हालत मे उठेगा कि उसकी दोनो आंखो के दरमियान लिखा होगा ,
" अल्लाह तआला की रहमत से महरुम है ! "
और आगाह हो जाओ , जो ऐहलेबैत ( सैयद ) के बूग्ज और अदावत मे मरा वो जन्नत की खुश्बु से महरुम कर दिया जायेगा
( तफसीरे कबीर जिल्द - 2 , सफा - 29 )
- हुजूर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने इर्शाद फरमाया कोई बन्दा कामिल मोमिन नही हो सकता , जब तक मे उसे उसकी जान से ज्यादा महबूब ना हो जाऊ और मेरी औलाद ( सैयद ) उसकी औलाद से ज्यादा महबूब ना हो
(बयहक्की , दयालमी )
- हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , " उस जालिम पर अल्लाह का सख्त अजाब हुआ जिसने मेरी ऐहलेबैत ( औलाद ) को तकलीफ पहुचाई.......
- हजरते उस्माने गनी ( रदिअल्लाहो अन्हो ) से रिवायत है कि सरकार सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , " जिस सख्स ने दुनिया मे मेरी ऐहलेबैत ( सैयद ) से कोई नेकी , अच्छा सुलुक या अहसान किया फिर वो सैयद उसका बदला ना दे सका तो कयामत के दिन मै अपनी औलाद ( सैयद ) की तरफ से उनका पुरा बदला अदा करुंगा
( अबु नईम )
- हजरत जाबीर बीन अब्दुल्लाह ( रदिअल्लाहो अन्हो ) से रिवायत है की , हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने ईर्शाद फरमाया , " ऐ लोगो ! जो सख्स ऐहलेबैत ( सैयद ) से बुग्ज व अदावत रखेगा उसे कयामत के दिन अल्लाह तअाला उसकी कब्र से ' यहुदी ' बनाकर उठायेगा
( तिबरानी )
- हूजुर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने फरमाया , खबरदार !!!! होके सुनलो , जो सख्स ऐहलेबैत ( सैयद ) आले रसूल से बुग्ज और अदावत मै मरा वो कयामत के दिन ऐसी हालत मे उठेगा कि उसकी दोनो आंखो के दरमियान लिखा होगा ,
" अल्लाह तआला की रहमत से महरुम है ! "
और आगाह हो जाओ , जो ऐहलेबैत ( सैयद ) के बूग्ज और अदावत मे मरा वो जन्नत की खुश्बु से महरुम कर दिया जायेगा
( तफसीरे कबीर जिल्द - 2 , सफा - 29 )
- हुजूर सल्ललाहो अलेह व आलेही वसल्लम ने इर्शाद फरमाया कोई बन्दा कामिल मोमिन नही हो सकता , जब तक मे उसे उसकी जान से ज्यादा महबूब ना हो जाऊ और मेरी औलाद ( सैयद ) उसकी औलाद से ज्यादा महबूब ना हो
(बयहक्की , दयालमी )
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