*नौवीं सदी का बग़दाद*
*बग़दाद की बुनियाद सन 762 में अबू जफ़र बिन अलमंसूर ने बग़दाद नाम के एक छोटे से गांव के क़रीब रखी थी.कुछ ही दशकों के भीतर यह बस्ती दुनिया के इतिहास के बड़े शहरों में शामिल हो गई.*
*हिंदुस्तान से लेकर मिस्र तक के शिक्षाविद, विद्वान, कवि, दार्शनिक, वैज्ञानिक और विचारक यहां पहुंचने लगे.*
*इसी ज़माने में मुसलमानों ने चीनियों से काग़ज़ बनाने का तरीक़ा सीख लिया और देखते ही देखते शहर शैक्षिक गतिविधियों से भर गया.*
नौवीं सदी में बग़दाद का हर शहरी पढ़ लिख सकता था.
*इतिहासकार टरटॉयस चैंडलर के शोध के मुताबिक़ सन 775 से लेकर सन 932 तक जनसंख्या के लिहाज़ से बग़दाद दुनिया का सबसे बड़ा शहर था.*
*इसके अलावा इसे दस लाख की आबादी तक पहुंचने वाले दुनिया का पहला शहर होने का सम्मान प्राप्त था.*
*वहां यूनानी, लातिनी, संस्कृत, सीरियन और दूसरी भाषाओं की किताबें भी अनुदित होने लगीं.*
*यही किताबें सदियों बाद पूरब पहुंचीं और उन्होंने पूरब में अहम किरदार अदा किया. अलजेब्रा, एलगोरिद्म, अलकेमी, अल्कोहल आदि जैसे दर्जनों शब्द बग़दाद की इसे सुनहरे दौर की देन हैं.*
*बग़दाद में बसने वाली चंद मशहूर हस्तियों के नाम भी देख लीजिए:*
जाबिर बिन हय्यान (आधुनिक रसायन शास्त्र के विद्वान),
अल-ख़्वारिज़्मी (बीजगणित के विद्वान),
अल-किंदी और अल-राज़ी (मशहूर दार्शनिक),
अल-ग़ज़ली (मशहूर विचारक),
अबू नुवास (प्रसिद्ध अरबी कवि),
शेख़ सादी (प्रसिद्ध फ़ारसी कवि),
ज़िरयाब ( मशहूर संगीतकार),
तबरी (मशहूर इतिहासकार),
*इमाम अबू हनीफ़ा, अलेह रहमा*
*इमाम अहमद बिन हंबल, अलेह रहमा*
*इमाम अबू यूसुफ़*
आज से ठीक 760 साल पहले बग़दाद पर चलने वाली उस आकस्मिक आंधी ने मेसोपोटामिया की हज़ारों साल पुरानी संस्कृति के क़दम ऐसे उखाड़े कि वो आज तक संभल नहीं पाए.
यही नहीं बल्कि इसके बाद से आज तक कोई मुस्लिम शहर बग़दाद की शानो शौकत तक नहीं पहुंच सका.
*कुछ विशेषज्ञों ने लिखा है कि पश्चिमी सभ्यता इसी वजह से फल-फूल सकी कि मंगोलों ने उस वक़्त की बेहतर मुस्लिम सभ्यता को तबाह करके पश्चिम के लिए रास्ता साफ़ कर दिया था.*
*हलाकु ख़ान मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके चौथे पुत्र तोलुइ ख़ान का पुत्र था। हलाकु की माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि हलाकु आगे चलकर एक बड़ा साम्राज्य स्थापित कर सका*
हलाकु ख़ान की पत्नी दोक़ुज़ ख़ातून एक नेस्टोरियाई ईसाईथी और हलाकु के इलख़ानी साम्राज्य में बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म को बढ़ावा दिया जाता था। दोक़ुज़ ख़ातून ने बहुत कोशिश की के हलाकु भी ईसाई बन जाए लेकिन वह मरते दम तक बौद्ध धर्म का अनुयायी ही रहा।
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ* *اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى سَيِّدِنَا وَ مَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّ عَلٰى اٰلَهٖ وَ اَصْحَابِهٖ وَ عَلىٰ سَيِّدِنَا وَ مُرْشِدِنَا وَ مَحْبُوْبِناَ حَضْرَتِ رَاجْشَاهِ السُّونْدَهَوِيِّ وَ بَارِكْ وَ سَلِّمْ۞* Al-Qur’an:-“Beshak Jhoot Bolne Walo Par Allah Ki Laanat Hai. Reference (Surah Aal-e-Imran 3:61) Hadees No:- 1 “Nabi-e-Kareem (ﷺ) Farmate Hai:-“Jhoot Se Bacho! Bilashuba Jhoot Gunah Ki Taraf Le Jata Hai,Aur Gunah Jahannum Me Pahunchaane Wala Hai.” Reference (Sunan Abi Dawud 4989-Sahih) Hadees No:- 2 “Bahut Saare Log Muh Ke Bal Jahannum Me Phenk Diye Jaayenge, Sirf Apni Zuban (Jhooth) Ki Wajah Se. Reference (Tirmizi Shareef) Hadees No:- 3 “Nabi-e-Kareem (ﷺ) Farmate hai:- “Main Zamanat Deta Hu Jannat ke Darmiyaan 1 Ghar ki, Us Shaksh Ko Jo Mazak Me Bhi Jhoot Na Bole.” Reference (Sunan Abu Dawood 4800) Hadees No:- 5 “Laanat Aur Halaqat Hai Us Shaksh Ke Liye Jo Logo Ko Hasane Ke Liye Jhoot Bole”. Reference (Abu Dawood:-4990)
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