https://youtu.be/Z4UWTKiRlqU
8 शव्वाल/ 21 अप्रैल 1925 ई० (ब्लैक डे)
"जन्नत उल बक़ी शरीफ़ में मौजूद आले मुहम्मद (सल्लल्लाहु व अलैहि व आलेही वसल्लम)
व असहाब ए रसूल के "मज़ारात ए मुक़द्दसा" को मिस्मार किया गया उनकी हुरमत को पामाल किया गया उनकी गुस्ताख़ी की गई
95 साल पहले बद'बख़्त गुस्ताख़ इब्ने गुस्ताख़ लानतियों ने अहलेबैत ए रसूल असहाब ए रसूल की क़ब्रों की बेहुरमती करने वाले और हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार की बेहुरमती करने वाले दोनों एक ही नज़रिये के लोग हैं
इन ख़बीसों ने अहलेबैत व सहाबा की क़ब्रों पर भी बुल्डोज़र चलाये थे
अल्लाह की लानत हो इन ख़बीसों पर
नोट-राफ़ज़ीयत पर कलाम करने वालों को मैने अक़्सर ख़ारजियत व नासबियत पर ख़ामोश पाया है??? अफ़सोस.....
8 शव्वाल/ 21 अप्रैल 1925 ई० (ब्लैक डे)
"जन्नत उल बक़ी शरीफ़ में मौजूद आले मुहम्मद (सल्लल्लाहु व अलैहि व आलेही वसल्लम)
व असहाब ए रसूल के "मज़ारात ए मुक़द्दसा" को मिस्मार किया गया उनकी हुरमत को पामाल किया गया उनकी गुस्ताख़ी की गई
95 साल पहले बद'बख़्त गुस्ताख़ इब्ने गुस्ताख़ लानतियों ने अहलेबैत ए रसूल असहाब ए रसूल की क़ब्रों की बेहुरमती करने वाले और हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार की बेहुरमती करने वाले दोनों एक ही नज़रिये के लोग हैं
इन ख़बीसों ने अहलेबैत व सहाबा की क़ब्रों पर भी बुल्डोज़र चलाये थे
अल्लाह की लानत हो इन ख़बीसों पर
नोट-राफ़ज़ीयत पर कलाम करने वालों को मैने अक़्सर ख़ारजियत व नासबियत पर ख़ामोश पाया है??? अफ़सोस.....
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