अहले बैअत के नाम के साथ अलैहिस्सलाम लिखने पर बड़ी ग़लतफ़हमी फ़ैली हुई है कि ये सिर्फ अम्बिया के साथ ही मख़सूस है।
जबकि हक़ीक़त ये है कि ये दुआईया क़लिमात हैं जिनके मायने हैं “उनपर अल्लाह की सलामती हो।”
इमाम बुख़ारी ने हज़रत अली और हज़रत फ़ातिमा के साथ अलैहिस्सलाम लिखा है। (सहीह बुख़ारी: 6318)
इमाम बुख़ारी ने हज़रत हुसैन के साथ अलैहिस्सलाम लिखा है। (सहीह बुख़ारी: 3748)
इमाम अबू दाऊद ने हज़रत अली के साथ अलैहिस्सलाम लिखा है। (अबू दाऊद: 4646)
इन सब के अरबी मैटर देखें तर्जुमे में मौलवी ने डंडी मारी हुई है।।
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