बदअकिदो की पेशवा की हकीकत जिन्होंने वहाबीयत की बुनियाद रखी।
पढ़े और आगे शेयर करे।।।
1)..नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वस्सललम मशरिक के तरफ रूख किए हुवे थे और फरमां रहे थे अगाह हो जाओ फितना इस तरफ है जिधर से शैतान का सिंघ निकलेगा।
(हवाला:सही बुखारी हद्दीस नम्बर 7093 ,)
किताबुल फितन सही हद्दीस
2)..एक दिन दरिया ए रहमत सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने अल्लाह ने दुआ फ़रमाई ऐ अल्लाह हमारे शाम और यमन मे बरकत नाजिल फरमा तभी पीछे बैठे कुछ लोगो ने कहा या रसूलल्लाह हमारे नज्द के लिये भी दुआ कर दीजिये फ़िर हुजूर ने शाम और यमन के लिये दुआ फरमाई पर नज्द का नाम नही लिया फ़िर लोगो ने याद दिलाया लेकिन आप ने दुआ नही फरमाई और आखिर मे कहा मै नज्द के लिये दुआ कैसे फरमाऊं वहां तो जलजले और फितने होंगे और वहां शैतानी गिरोह पैदा होगें
(हवाला: बुखारी शरीफ़ जिल्द 2, पेज न-1051)
3)…हजरत अब्दुल्ला बिन उमर रजियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने मशरिक की तरफ (नज्द इसी तरफ़ है) रुख करके फ़रमाया कि फितना यहां से उठेगा और शैतान की सींग निकलेगी
(हवाला:- मुस्लिम शरीफ़ , जिल्द 2 , पेज न-393)
कयामत का निसानियो का ब्यान।
आइए देखते हैं इनकी पैशवा नज्दी का जहूर।
नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के पास एक गुस्ताख आया जिसकी डाढी घनी सिर मुंडा (टकला) तहबंद टखनो से (कुछ ज्यादा ही) ऊंचा और आंखों के दरमियान सजदे के कुछ निशान थे।
आप ने फरमाया की सर जमीन ए नज्द इसकी नस्ल से एक कौम निकलेगी कि तू अपनी नमाजों पर और रोज को उनकी नमाज और रोजो के आगे हकीर जानोगे कुरान तुमसे अच्छा पढ़ेंगे मगर उनके हलक से नीचे नही उतरेगा। दिन से ऐसा निकल जाएंगे जैसे तीर कमान से निकल जाता है यह लोग निकलते ही रहेंगे यहां तक कि इनका आखरी गिरोह दज्जाल के साथ निकलेगा
(बुखारी ज़िल्द 2 पेज नंबर 624)
कुछ समझे कौन है यह 24 देव वहाबी।
अब आए आगे देखे।
सरकार सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के पास जो जो गुस्ताख अपनी तहबंद को टखनों से( कुछ ज्यादा ही) ऊपर उठाएं और घनी दाढ़ी के साथ सर मुन्डवाए हुए आया था उसका नाम जुल-खुवैसरह था और उसका तालुकात किबले बनु तामीम से था ।
(बुखारी ज़िल्द 1 पेज नंबर 501)
अब आगे देखें।
इमामे काबा अल्लामा अहमद बीन दहलान मक्की अलैहे रहमा0 लिखते हैं कि ये मगरूर मोहम्मद बीन अब्दुल वहब नज्दी भी बनु तमीम से ही था तो ऐन मुमकिन है कि वह जुल-खुवैसरह तमीमी की नस्ल से हो जिसके बारे में हदीश है कि इस की नस्ल से एक कौम निकलेगी।
(अद्दुररूसन्नीया पेज नम्बर 51)
हजरत इब्ने उमर (रजियल्लाहो अन्हा) फरमाते हैं कि रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने मशरिक के जानीब इशारा करके फरमाया कि इस जगह से शैतान का सींघ निकलेगा।
(बुखारी ज़िल्द 1 पेज नंबर 522)
अब आगे पढे।
जजीरा ए अरब के मशरिक में नज्द वाक्य है और नज्द के ही इलाके मे एक मुस्लिमा कज्जाब पैदा हुआ फिर 1100 सौ साल बाद 1703 में वहां ही मोहम्मद बिन अब्दुल वहब नजदी पैदा हुआ (जिसने अकायद-ए-इस्लाम की धज्जियां उड़ा दी और वहाबियत की बुनियाद रखी)
अब यहां एक पॉइंट और है कि जो नादान इल्म ए गैब ए मुस्तफा पर एतराज करते हैं अपनी आंखों को खोलो और यहां से सबक लो अब आगे देखें।
और दुसरी बात नज्द के नाम रियाद रखने की वजह क्या है।
“नज़्द मे (ईमान और अकायद के ) जलजले और फितने होंगे और वहां से शैतान का सिंघ निकलेगा” ।
(तिर्मीजी Bab-ul-Manaqibh हदीस नंबर- 3953..
22-Sep-1934 नज्द (जजीरा ए अरब के मशरिक सुबे) के एक सऊदी काबिले ने मुसलमानों ने (खिलाफत-ए-उस्मानिया को) तोड़कर जजीरा ए अरब की पाक सर जमीन पर कब्जा हुए और उसका नाम सऊदी अरब रखा है आज भी वह अर्ज ए मुकद्दस उन्हीं फितना पैदवार नज्दीयो की तालुक में है।
सोचिए की बात यह है कि क्या खिलाफ-ए-उस्मानिया के अफराद जो औलादें( उस्मान गनी से थे) अरबी नाही थे। क्या सहाबा की नस्ल से नही थे अगर ऐसा नहीं है और यकीनन नहीं है तो फिर क्या यह औलादे सहाबा का कत्ल करके हराम पर कब्जा करने वाले मुसलमान हो सकते हैं जरूर सोचे।
और हुजरे आईशा के दरवाजा के पास खड़ा होकर मशरिक के तरफ इशारा कर के देखे या लाइन खिंच कर देखे की नज्द किधर आता है और इराक किधर आता है मशरिक की तरफ लाइन खिचे बिल्कुल नज्द (रियाद) के बीचेबिच से गुजरेगा यहीं से फितना बरामद हुआ और आज नज्द से मुराद सऊदिया का वही शहर है जिसका नाम बदलकर रियाद रख दिया गया है ताकि मुसलमानों को गुमराह किया जा सके!!!!
और हा एक बात याद रखे कुछ लोग तो नज्द से मुराद कुफा,इराक वगैरह वगैरह बताते है अपनी पेशवा को बचाने के लिए और कुछ लोग तो नज्द के किस्में 12 बताते है मगर आँखे खोलो और देखो रियाद (नज्द) की आज भी बोर्ड पर नज्द लिखा है रियाद की तस्वीरें देखे पोस्ट पेज मे।
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