मोहब्बत_ए_रसूल_सल्लल्लाहु_अलैहि_वसल्लम:
◆1) जिस ने मुझ से मोहब्बत की उस ने अल्लाह से मोहब्बत की….
[हाकिम – सहीहैन: 4776]
◆2) जिस ने मुझ से मोहब्बत की वह जन्नत मे मेरे साथ होगा…
[तिर्मिज़ी: 2621]
◆3) अल्लाह की मोहब्बत की ख़ातीर मुझ से मोहब्बत करो…
[तिर्मिज़ी: 3722]
◆4) तुम मे से कोई भी उस वक़्त तक मोमीन नही हो सकता, जब तक मैं उस के नज़दीक उस की अपनी जान से भी ज़्यादा महबुब न हो जाऊं…
[अहमद: 18047]
◆5) तुम मे से कोई भी उस वक़्त तक मोमीन नही हो सकता, जब तक मैं उस के नज़दीक उस के वालदैन, उस की औलाद और तमाम लोगों से ज़्यादा महबुब न हो जाओ…
[बुखारी: 15]
◆6) कोई बन्दा उस वक़्त तक मोमीन नही होता,जब तक उस को मेरी मोहब्बत उस के घर वालों, माल व दौलत और सब लोगों से ज़्यादा न हो….
[मुस्लिम: 168]
◆7) आदमी [क़यामत के दिन] उसी के साथ होगा, जिस से उस ने [दुनिया मे] मोहब्बत की होगी…
[मुस्लिम: 6710]
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