मेहनत_से_लिखा_है_ध्यान_से_पढें :
#तुर्की_की_तरफ़_से_आख़िर_क्या_बड़ा_होने_वाला_है
#2023_से_इस्लाम_के_दुश्मन_क्यूँ_डर_रहे_हैं
2023 को समझने के लिए हमें 100 साल पीछे यानी 1923 मे जाना पड़ेगा..
#ये_कहानी शुरू होती है 1914 से जब फस्ट वर्ल्ड वाॅर यानी पहली जंगे अज़ीम शुरू हुई थी फस्ट वर्ल्ड वाॅर का ख़ातमा हुआ तो उस वक़्त करोड़ो लोग अपनी जान गंवा चुके थे लिहाज़ा उसका ख़ात्मा होने के साथ-साथ
#इस्लामी_दुश्मन मुल्कों को ऐसा मौक़ा मयस्सर हुआ कि उन लोगों ने मुसलमानों की सबसे बड़ी रियासत और सबसे लंबे वक़्त चलने वाली हुक़ूमत जिसे हम खिलाफ़ते उस्मानिया यानी
सल्तनत उस्मानिया के नाम से जानते हैं उसे ख़त्म कर दिया ।
#लिहाज़ा_इतनी बड़ी रियासत और इतनी मज़बूत हुक़ूमत को ख़त्म करना इतना आसान नहीं था
इसके लिए उन्होंने बहुत पहले साज़िशें करनी शुरू की हुई थी,
ख़िलाफ़त ए उस्मानिया के अंदर अपने ही ग़द्दार और अपने जासूसों को बैठा रखा था
#एर्रतगुल_ग़ाज़ी सीरियल देखने वाले ये अच्छी तरह जान चुके होंगे की उस दौर का माहौल क्या होता था जब हमारी सल्तनत होती थी तो उसे ख़त्म करने के लिए और उसको कमज़ोर करने के लिए हमारे जितने भी दुश्मन हुआ करते थे वो जंग के लिए सामने नहीं आते थे,
#क्योंकि_उन्हें_पता_था_क़ि_मुसलमानों_को_हराना_इतना_आसान_नहीं
#लिहाज़ा हमेशा से ही वो लोग वही काम करते रहते थे जो #एर्रतगुल_ग़ाज़ी में दिखाया गया है, यानी_अंदरूनी_तौर_पर_ग़द्दारों को ख़रीद लिया करते थे य़ा फिर ख़ुद क़े आदमियों को जासूस बनाकर उनमें भेज कर उनको कमज़ोर कर दिया करते थे,
यही हुआ 1923 में 1923 तुर्की के लोगों ने ग़द्दारी की और उनके जो नाम निहाद जासूस भरे हुए थे ईसाई और यहूदियों के उन लोगों ने अपनी चालबाज़ी जारी रखी जिसकी वजह से 1923 में सल्तनत_उस्मानी कमज़ोर हो गई और नतीजतन इन इस्लाम दुश्मनों को मौक़ा मिल गया जिसका इन लोगों को बरसों और बेताबी से इन्तज़ार था,
#लिहाज़ा_उन_लोगों ने तुर्की के कमज़ोर होने पर उसके सामने शर्त रख दी कि अगर तुर्की की अम्नी सलामती चाहते हो तो हम जो कहते हैं उसे मानने को तैय्यार हो जाओ,
लिहाज़ा तुर्की के पास सिवाय सिर झुकाने के अलावा कोई चारा न था,
#लिहाज़ा इन तमाम बातों के नतीजे में एक मुआयदा हुआ इस मुहायदे को हम लोज़ान के नाम से भी जानते हैं, इस मायने में वो शर्ते रखी गई जिससे पूरी तुर्की को कमज़ोर करके रख दिया आने वाले सेंकड़ों साल तक तबाह और बर्बाद करके रख दिया,
लिहाज़ा अगर हम दूसरे लफ़्ज़ों में कहें तो इस्लाम के तमाम दुश्मन मुल्कों ने
#तुर्की_को इस मुआयदे के ज़रिये से इन तमाम शर्तो के ज़रिए पूरे 100 सालों को एक कोने में बांध कर फेंक दिया,
#लिहाज़ा_अब_तुर्की पहले ताक़तवर हुआ करता था और अब ऐसा मुल्क बन चुका जो कुछ नहीं कर सकता सिवाय लाचारी और बेबसी के,
#इस_मुहायदे_में_जो_शर्ते_रखी_गई_थी कुछ का हम ज़िक्र करते हैं,
इन शर्तो में सबसे पहली शर्त
1.खिलाफ़ते उस्मानिया को ख़त्म कर दिया गया उसकी जगह तुर्की को एक सेक्युलर तुर्की क़रार दे दिया गया यानि वो सेक्यूलर मुल्क बनकर रह गया,
#खिलाफ़त_उस्मानिया में जितने भी मुल्क आया करते थे जैसे की सऊदी अरब, लेबनान, जार्डन, यमन, मिस्र और भी जितने कंट्रीज़ थे सबको आज़ाद कर दिया गया, सबने अपने-अपने मुल्क अलग-अलग बसा लिये,
लिहाज़ा इस वजह से तुर्की के आख़री ख़लीफ़ा सुल्तान अब्दुल हमीद सानी को उनके ख़ानदान के साथ तुर्की से बाहर निकाल दिया गया गया ताकि ये लोग दोबारा आवाम के साथ मिलकर सेक्युलरिज्म के ख़िलाफ़ बग़ावत ना कर दें,
#लिहाज़ा उनको बाहर निकालने के बाद और शर्ते लागू की गई वे शर्ते कुछ इस तरह हैं
पूरी दुनिया जानती है कि तुर्की की ज़मीन में बहुत ज़्यादा तेल है उसको आयात माली तौर पर बहुत ज़्यादा मज़बूत कर सकता था,
#आज दुबई, अरब, ओमान, यमन इस तरह के बहुत से कंट्री हैं जो तेल के दमपर बेतहाशा अमीर हैं
#तुर्की_भी तेल के दमपर बहुत ज़्यादा ऊपर जा सकता था लिहाज़ा..
2. उन शर्तो में से एक शर्त ये भी लगाई कि तुर्की अपनी ज़मीन से 100 साल तक तेल नहीं निकाल सकता,
3.और उन्ही शर्तो में से एक शर्त ये थी कि तुर्की के अपने बंदरगाह हैं जो एशिया और युरोप से मिलते है और जिनसे बिज़नेस तिजारत के तौर पर रोज़ के हज़ारो जहाज़ आवक-जावक किया करते है यानी रोज़ वहां से गुज़रते है,
#लिहाज़ा उसको तुर्की के अपने ही हक़ से बाहर कर दिया गया, यानि क़ानून बना दिया गया कि ये पूरी दुनिया की मिल्कियत हैं,
लिहाज़ा अब तुर्की 100 साल तक इस बंदरगाह से कोई भी टैक्स वसूल नहीं कर पाएगा,
इस तरह की बहुत सी शर्ते रखी गई थी जो तुर्की के थे और जिसके ज़रिये तुर्की को ही कमज़ोर कर दिया गया था ।
#अल्हम्दुलिल्लाह अब वो 2023 में ख़त्म होने जा रहा है यानि 2023 एक ऐसा साल होगा जो तुर्की अपनी ज़मीन से तेल भी निकालेगा और बंदरगाह से टैक्स भी वसूल करेगा और उसके तुर्की अपनी GDP और इकोनॉमी को बहुत ऊपर ले जा सकता है और इसके अलावा
#तुर्की_खिलाफ़त_उस्मानिया_दोबारा_भी_क़ायम_कर_सकता_है
लिहाज़ा 2023 में क्या मोड़ आने वाला है इसका अंदाज़ा सिर्फ़ इस बात से लगाया जा सकता है कि,
#तुर्की_के_सदर_रजब_तैय्यब_एर्दोगान_साहब अपनी तक़रीरों में अक्सर एक बात ज़्यादा किया करते हैं कि साल 2023 के बाद तुर्की पहले जैसा तुर्की नहीं रहेगा,
बल्कि तुर्की ऐसा तुर्की बनेगा जो अपनी तारीख़ में पहले हुआ करता था ।
#लिहाज़ा हम सभी जानते हैं खिलाफ़ते उस्मानिया की तारीख़ क्या है खिलाफ़ते उस्मानिया #एर्रतगुल_ग़ाज़ी के सरदारगिरी और उनके बाज़ु से निकलकर आई थी वो तुर्की सल्तनत ही थी जो एक छोटे से क़बीले से वाले इसकी बुनियाद रखी थी और #_दुनिया_में_इस्लाम_का_परचम_लहराया_था_और_इस्लाम_सबसे_बड़ी_सल्तनत_बनी
#लिहाज़ा सबसे अहम बात ये है कि यूरोपियन
कंट्रीज़ और अमरीका जैसे जितने भी इस्लाम दुश्मन मुल्क हैं उनकी टेशन नहीं होती,
#अगर_रजब_तैय्यब_ऐर्दोगान_तुर्की के सदर न होते लेकिन दुश्मनों के लिए दिक़्क़त की बात ये है कि 2023 आने के साथ-साथ सबसे बड़ी मुश्किल ये है अब तुर्की के सदर रजब तैय्यब एर्दोगान हैं जोकि,
#एक_कट्टर_मुसलमान_हैं_और_इस्लामिक_सोच_रखते_हैं_और_जिनका_नज़रिया_ये_है_कि_इस्लाम_नहीं_तो_कुछ_भी_नहीं
लिहाज़ा यही वजह है वो लौग अभी से तुर्की के ख़िलाफ़ बड़ी साज़िशें रच रहे हैं और
2023 से पहले ही तुर्की को इन तमाम चीज़ों से रोकने की कोशिश में लगे हैं,
#आप लोगों के इल्म में होगा कि अभी दो-चार साल पहले तुर्की की फौज के ज़रिए तैय्यब एर्दोगान का तख़्ता पलटने की कोशिश की गई थी, वो भी इस्लाम दुश्मन मुल्कों की तरफ़ से एक ख़ुफ़िया रंजिश थी इसका ख़ुलासा बाद में हुआ था लिहाज़ा ये कहना बिल्कुल मुमकिन नहीं है कि,
2023 के बाद क्या होगा या क्या नहीं होगा
लेकिन इतना ज़रूर तय है कि यक़ीनन
2023 तुर्की पहले जैसा तुर्की नहीं रहेगा यक़ीनन बहुत कुछ बदलाव आएंगे ।
#इंशा_अल्लाह
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