लगाओ मुझ पर भी कुफ़्रो शिर्क का फ़तवा
मैं आल हूँ उसकी मेरा जद है अबु तालिब
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कौन अबु तालिब ?????
वो अबु तालिब जिन्होंने हुज़ूर की मोहब्बत का हक़ अदा कर दिया
वो अबु तालिब जिन्होंने मेरे आक़ा से अपनी सगी औलाद से बढ़ कर मोहब्बत की
वो अबु तालिब जिन्होंने अपने जिगर गोशों के निवाले भी मेरे मुस्तफ़ा करीम पर क़ुर्बान कर दिए
वो अबु तालिब जो मेरे आक़ा की ढाल बने रहे
वो अबु तालिब जो मेरे मुस्तफ़ा की शान में नात ए पाक कहते रहे
वो अबु तालिब जिनके जीते जी मेरे आक़ा को मक्का छोड़ कर नही जाना पड़ा
वो अबु तालिब जिनके घर से इस्लाम की तबलीग़ हुई
वो अबु तालिब जिनके घर में कालिमा ए हक़ बुलन्द हुआ
वो अबु तालिब जिनकी रक़म इस्लाम की पहली दावत पर खर्च हुई
वो अबु तालिब जिनके घर पर जिनकी रक़म से दावत ए ज़ुलअशीरा दी गयी
वो अबु तालिब जिन्होंने सरकार ए दो आलम से फ़रमाया बेटा परीशान मत होना आप तन्हा नही आपका ये चचा आपके साथ है
वो अबु तालिब जो रात भर हुज़ूर की जगह अपने बच्चों को लिटाते ताकि मुशरीकीने मक्का को ये ख़बर न हो सके की मेरे मुस्तफ़ा आराम कहा फ़रमा रहे हैं
अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यदना मुहम्मद व अला आलेही व अज़्वाजेहि व अहलेबैतही व असहाबेहि व बारिक व सल्लिम
अल्लाह का करोड़ो सलाम हो जनाब ए मोहसिन ए इस्लाम सय्यदना ख़्वाजा अबु तालिब इब्ने सय्यदना अब्दुल मुत्तलिब अलैहिस्सलाम पर और हुज़ूर के तमाम अजदाद ए तय्याबीन पर
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