15 रमजान शरीफ़
हजरत इमाम हसन इब्न मौला अली इब्न अबू तालिब अ.स. का
यौम ए ज़हूर
यौम ए विलादत
जनम दिवस
बर्थ डे
मुबारक हो
जिनके नाना जान इमामुल अंबीया
यानी तमाम नबीयों के सरदार स.अ.व. हैं
जिनकी नानी जान
मलका ए अरब
उम्मुल मोमनीन
यानी तमाम मोमनीन की माँ और सैयदा बीबी के बाद तमाम औरतों की सरदार स.म.अ. हैं
जिनके दादा जान मोहसिन ए पैगम्बर और मोहसिन ए इस्लाम
रईस ए मक्का
खाना ए काबा के मुतावल्ली
इमरान उर्फ अबू तालिब अ.स. बनी हाशिम के सरदार हैं
जिनकी दादी जान फातमा बिन्त असद स.अ. की क्या
अज़मतें करें ब्यान
मोहम्मद ने खायीं
जिनके हाथों की रोटीयाँ
है कोई इमरान के जैसा
जिनकी दुल्हन का ये रुतबा
माँ कहते हैं जिनको मोहम्मद इनको तू भी मनाले
जिनकी वालदा ए मोहतरमा
खातून ए क्यामत
खातून ए महशर
खातून ए जन्नत
जनाब सैयदा बीबी फ़ातमा ज़हरा
जन्नत की औरतों की सरदार स.अ.हैं
जिनके बाबा
ऐन अल्लाह ,
वजहुल्लाह
लिसान उल्लाह
यदुल्लाह
मुश्किल कुशा
मज़हरुल अजाइब वल गराइब
फातहे खैबर
कुल्ले ईमान
बोलता कुरआन
जिसके नाम से
ईमान वालों की और
, मुनाफ़िकों व काफ़िरों की पहचान होती है
यानी जिसका नाम ए पाक ईमान और कुफ्र नापने का थरमा मीटर है
आप
अमीरुल मोमनीन
इमामों और तमाम
वली अल्लाह के सरदार हैं
जिनके भाई जान
हजरत इमाम हुसैन अ.स.
जिनको रहमतल लिल आलमीन इमामुल अंबीया अपने काधें मुबारक पर सवार करते और
अपनी प्यारी खूबसूरत नूरानी ज़ुलफों को हसनैन करीमैन के हाथों मे पकढ़वाते
और उनके कहने पर ऊँट की आवाज निकालते यानी अपने नवासों के लिऐ सवारी बनते और
जब वो आपकी नमाज़ मे सजदे की हालत मे आपकी पुस्त मुबारक मे सवार होकर बैठ जाते
तब रब के हुक्म से आप अपने सजदों को तूल कर देते
आप तमाम शहीदों और जन्नत के नौ जवानों के सरदार अ.स.हैं
इमाम हसन अ.स. के सबसे छोटे भाई का इस्म शरीफ़
हजरत मुहसिन अ.स.है
आपकी हमशीरा बहन मोहतरमा सानी ए ज़हरा जनाब सैयदा बीबी जैनब स.म.अ.
जनाब सैयदा बीबी कुलसूम स.म.अ.
जनाब सैयदा बीबी रुकैया स.म.अ.
आपके साहब ज़ाद ए
जनाब सैयद कासिम अ.स.
जनाब सैयद अब्दुल्लाह अ.स.
जनाब हसन मसना अ.स.
जिनकी नस्ल ए पाक से
शैख सैयद मुहियुददीन अब्दुल कादिर जीलानी गौस ए पाक र.अ. हैं
और हजरत मखदूम सैयद अलाउददीन अली अहमद साबिर चिश्ती कलयरी र.अ. हैं
हजरत सैयद इमाम हसन अ.स. का दस्तर ख्वान बहुत मशहूर है जिसमे हर तरह की नेमतें सजी रहतीं
हजरत सैयद इमाम हसन अ.स. की 11वीं पुस्त नस्ल ए पाक से वो तशरीफ़ लाऐ
जिन्होने दसवीं आशूरा को मैदान ए करबला मे मौला हुसैन अ.स.के अपने नाना जान और अपने रब से किए वादे के मुताबिक इम्तहान देने और अपने नाना के दीन की हिफ़ाजत क्यामत तक करने की कामयाबी के शुकराने मे
11तारीख को नियाज़ दिलाते और लंगर करते
और उनकी सुन्नत मे उनके चाहने वाले 11वीं शरीफ की नियाज़ दिलातें हैं और अपने हस्ब ए हैसियत 11वीं की नियाज़ मे बहुत बड़े बड़े लंगर कर लोगों की दावत कर खाना खिलाते और बाटते हैं
जिनका इस्म ग्रामी शैख सैयद मुहीयुददीन अब्दुल कादिर जीलानी बगदाद गौस पाक र.अ. है
यह एक निस्बत की बात है
के जब 11 वीं पुस्त मे आने वाली हस्ती गौस ए पाक के नाम पर ग्यारवीं की नियाज़ दिलाकर बड़े बड़े लंगर करने वाले
उनके अज़दाद
जनाब इमाम हसन इब्न मौला अली इब्न अबू तालिब अ.स. की विलादत मे ना जाने कितना लंगर करके
हज़रत गौस पाक र.अ. को खुश करने और राज़ी करने के लिऐ करते होगें
और क्यों ना करें
मैदान ए महशर मे गौस पाक से जब आमना सामना होगा तो शायद यह भी एक ज़रीया बख्शिश का होगा
कि हम आप से और आपके अज़दादों से मुहब्बत करते और उनकी भी बारगाह मे नज़्र नियाज़ पेश कर लंगर करते थे
चूँकी हजरत ख्वाजा सैयद मुईनुददीन हसन संजरी चिश्ती सुम्मा अजमेरी र.अ.
हसनी हुसैनी साहब जादे
सादात और सुल्तानुल अज़म हैं
इसलिऐ चिश्ती गुलामाने गुलाम इनके विलादत के ज़िक्र की महफिल सजाते और नियाज़ व नज़्र पेश करके अपनी गुलामी का हक अदा करते हैं
हम भी अपने घरों मे मोहल्लों मे
खानकाहों मे
वली अल्लाह की दरगाहों मे
इमाम बाड़ो मे
मस्जिदों मे
(हालात और वक्त को देखते हुए नियम अनुसार )
इनके ज़िक्र की महफिल सजाऐं और
पंजतन पाक की बारगाह मे नियाज़ नज़्र पेश करें इनकी निसबत से रोज़ा इफ़्तार करें और कराऐं
मिलता है क्या इनकी गुलामी मे
खुद को इनका गुलाम बनाके देख ले
दरे पंजतन से बंदे को क्या नही मिलता
जो मागंने का तरीका है उस तरह मांगो
ये पैगाम बा निसबत सैयद ख्वाजा मुईनुददीन हसन संजरी चिश्ती सुम्मा अजमेरी र.अ.
1. QUBOOL-E-ISLAM ME AWWAL AUR NAMAZ PADHNE ME AWWAL 1. "Ek Ansari Shakhs Abu Hamza se riwayat karte hain ke maine Hazrat Zaid bin Arqam RadiAllahu Anhu ko farmate hue suna ke sabse pehle Hazrat Ali RadiAllahu Anhu Imaan laaye." Is Hadees ko Imam Tirmizi ne riwayat kiya hai aur kaha hai ke ye Hadees Hasan Saheeh hai. 2. "Hazrat Zaid bin Arqam RadiAllahu Anhu se he marvi ek riwayat me ye alfaaz hain: "Huzoor Nabi-e-Akram SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam par sabse pehle Islam laane waale Hazrat Ali RadiAllahu Anhu hain." Is Hadees ki Imam Ahmed bin Hanbal ne riwayat kiya hai. 3. "Hazrat Anas bin Maalik RadiAllahu Anhu se riwayat hai ke Peer ke din Huzoor Nabi-e-Akram SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam ki Baysat hui aur Mangal ke din Hazrat Ali RadiAllahu Anhu ne Namaz padhi." Is Hadees ko Imam Tirmizi ne riwayat kiya hai. 4. "Hazrat Abdullah ibne Abbas RadiAllahu Anhuma se riwayat hai ke wo farmate hain sabse pehle Hazrat Ali RadiAl
[…] Kaun Mawla aur Paanchwe Khalifa Imam Hasan Alahiassalam […]
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