डेंगू (Dengue) के बारे में इस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं समाचार-पत्र आदि में काफी सुनने व पढने को मिल रहा है। इस समय यह रोग भयानक रूप से फैलता हुआ दिखाई दे रहा है।
डेंगू दुनिया भर में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरल रोग है जो की संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। अकेला एक संक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों को डेंगू रोग से ग्रसित कर सकता है।डेंगू मच्छर का वैज्ञानिक नाम एडीस इजिप्टी है। डेंगू दो प्रकार का होता है। डेंगू ज्वर और डेंगू रक्तस्रावी। डेंगू ज्वर एक भयानक फ्लू जैसी बीमारी है। यह आमतौर से बड़े उम्र के बच्चों और वयस्कों को होता है, किन्तु इससे ग्रस्त रोगी की मृत्यु कभी-कभार ही होती है। डेंगू रक्तस्राव ज्वर, डेंगू का अत्यंत भयानक रूप है। इसमें रक्तस्राव होता है और मृत्यु भी हो जाती है। इस रोग की चपेट में बच्चे आते हैं। डेंगू फैलाने वाला मच्छर या तो सुबह के प्रारम्भ के समय अथवा दिन में देर से काटता है।डेंगू के लक्षण :
भिन्न-भिन्न रोगियों में रोग का लक्षण रोगी की आयु और स्वास्थ्य के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। नवजात और कम उम्र के शिशिओं में ज्वर के साथ शरीर पर खसरा यानी मीजिल्स के समान चित्तिकाएं या दरोरे निकल आते हैं। इन लक्षणों को एनफ्लूएन्जा, खसरा, मलेरिया, संक्रामक हेपेटाइटिस और अन्य रोगों से अलग नहीं किया जा सकता है। दूसरे बच्चे या वयस्कों में भी रोग के इसी प्रकार के लक्षण प्रकट होते हैं और रोग की प्रबलता मंद से तीव्र हो सकती है।
- तेज बुखार,
- मांस पेशियों एवं जोड़ों में भयंकर दर्द,
- सर दर्द,
- आखों के पीछे दर्द,
- जी मिचलाना,
- उल्टी
- दस्त तथा
- त्वचा पर लाल रंग के दाने
मरीज की स्थिति गम्भीर होने पर प्लेट लेट्स (platelets) की संख्या तेजी से कम होते हुए नाक, कान, मुँह या अन्य अंगों से रक्त स्राव शुरू हो जाता है, रक्त चाप काफी कम हो जाता है। यदि समय पर उचित चिकित्सा ना मिले तो रोगी कोमा में चला जाता है। उपरोक्त लक्षणों के सम्बन्ध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि बहुत से अन्य रोगों एवं अन्य बुखार आदि के लक्षण भी डेंगू से मिलते जुलते हो सकते हैं और कभी कभी रोगी में बुखार के साथ सिर्फ 1 – 2 लक्षण होने पर भी डेंगू पॉजिटिव आ सकता है। इसलिए सभी लक्षणों के प्रकट होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। यदि बुखार 1 – 2 दिन में ठीक ना हो तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाकर चेक-अप करवाना चाहिए क्योंकि कोई भी बुखार डेंगू हो सकता है।डेंगू रोग की रोकथाम :
- घर में एवं घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- सेप्टिक टैंक और सोक पिट्स को ठीक तरह से सील कर दें, ताकि डेंगू मच्छर उसमें प्रजनन न कर सकें।
- यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
- कूलर की टंकियों का पानी सदैव बदलते रहें ताकिर मच्छर उसमें अण्डे न दे सकें।
- गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें।
- घर के आस-पास गंदगी और कूड़ा-कचरा न रहने दें।
- ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
- यदि छोटे-छोटे- गड्ढ़े घर के आसपास हों, और उनमें पानी एकत्र हो जाता हो, तो उसे मिट्टी से पाट दें।
- मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव हेतु करें।
डेंगू से बचने के आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक तरीके :
- घर की खिड़की आदि में तुलसी का पौधा लगाने से मच्छरों से बचाव होता है।
- नीम की सुखी पत्तियों एवं कर्पूर की घर में धूणी करने से मच्छर मर जाते हैं या कोने एवं पर्दों आदि के पीछे छिपे हुए मच्छर घर के बाहर भाग जाते हैं।
- नीम, तुलसी,गिलोय ,पिप्पली , पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है।
- 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें , 4 – 5 तुलसी के पत्ते एवं 2 – 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। 250 M.L. शेष रखें , इसे तीन बार में बराबर मात्रा में विभक्त करके लें। यह काढ़ा डेंगू, स्वाइन फ्लू एवं चिकन गुनिया जैसे वायरल इन्फेक्शन से बचाने में बहुत उपयोगी है।
- याद रखें डेंगू की कोई विशिष्ट चिकित्सा अभी तक उपलब्ध नहीं है। सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती है। बुखार कैसा भी हो इन दिनों में यदि जल्दी आराम ना मिले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और मच्छरों से बचाव एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढायें। यही डेंगू से बचने का सर्वोत्तम उपाय है।
जैविक रोकथाम :
मच्छरों की रोकथाम के लिए ‘कुप्पीज’ जैसी मछलियों का प्रयोग किया जा सकता है, जो मच्छरों के छोटे लार्वा को भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं। इन मछलियों को तालाबों या नालों से प्राप्त किया जा सकता है या वहाँ से खरीदा भी जा सकता है, जहाँ इन लारवा खाने वाली मछलियों को पाला जाता है। जीवाणुवीय कीटनाशी पेस्टिसाइड का प्रयोग मच्छरों को मारने के लिए किया जा सकता है।डेंगू से डरे नहीं :
डेंगू से घबराना नहीं चाहिए, लेकिन यदि बुखार आ रहा हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। स्वयं अथवा मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर न खाएँ और प्रशिक्षित डॉक्टर को ही दिखाएँ। बुखार होने पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि बुखार सात दिन से अधिक का हो गया हो, तो प्लेटनेट्स काउंट चेक कराएँ। प्लेटलेट्स काउंट 20 हजार से कम होने पर अथवा शरीर से रक्तस्राव होने पर रोगी को अस्पताल में अवश्य भर्ती कराएँ।
1. QUBOOL-E-ISLAM ME AWWAL AUR NAMAZ PADHNE ME AWWAL 1. "Ek Ansari Shakhs Abu Hamza se riwayat karte hain ke maine Hazrat Zaid bin Arqam RadiAllahu Anhu ko farmate hue suna ke sabse pehle Hazrat Ali RadiAllahu Anhu Imaan laaye." Is Hadees ko Imam Tirmizi ne riwayat kiya hai aur kaha hai ke ye Hadees Hasan Saheeh hai. 2. "Hazrat Zaid bin Arqam RadiAllahu Anhu se he marvi ek riwayat me ye alfaaz hain: "Huzoor Nabi-e-Akram SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam par sabse pehle Islam laane waale Hazrat Ali RadiAllahu Anhu hain." Is Hadees ki Imam Ahmed bin Hanbal ne riwayat kiya hai. 3. "Hazrat Anas bin Maalik RadiAllahu Anhu se riwayat hai ke Peer ke din Huzoor Nabi-e-Akram SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam ki Baysat hui aur Mangal ke din Hazrat Ali RadiAllahu Anhu ne Namaz padhi." Is Hadees ko Imam Tirmizi ne riwayat kiya hai. 4. "Hazrat Abdullah ibne Abbas RadiAllahu Anhuma se riwayat hai ke wo farmate hain sabse pehle Hazrat Ali RadiAl
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