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Showing posts from July, 2018

Bhag jage Kara bhoomi k

Mawla Ali a.s

इली दीदम दवाए दर्द मंदा,सौ मुश्किलम आसां या शाह मर्दा तुरा दामन गिरफ्तम या शेर यजदा,बलाए बूद रा नाबूद कर्दा.. 21 रमज़ान :-यौमे शहादत -मौला ए कायनात हज़रत अली करमल्लाहू तआला वजहुल करीम- शाहे नजफ़, हैदर ए कर्रार - शेरे खुदा, मौला अली मुश्किल कुशा इमाम ए अली मुर्तुजा करमल्लाहू ताला वजहुल करीम जिनकी बहादुरी का लोहा सभी कल भी मानते थे और आज भी मानते है I उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज के आगे दिया दिखलाने जैसा ही है , सारी कायनात मिलकर भी अगर हज़रत अली की अजमतों को बयान करना चाहे तो भी मुकम्मल शान ए अली बयाँ नहीं हो सकती है I पैदाइश काबे शरीफ में आप अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के दामाद, जन्नते खातून हज़रते फातिमा के शौहर, और इमामे हसन ओ हुसैन के वालिद है I जिनकी पैदाइश मक्का ए मोअज्ज़मा में पवित्र काबे शरीफ़ में हुवी हो, ओर शहादत मस्जिद में हुवी हो. उस इमाम ए अली र.अ.की अज़मत का क्या कहना I जब आप पैदा होने वाले थे तो अल्लाह की कुदरत से काबे की दीवार का वो हिस्सा जिसे आज रुक्न ऐ यमनी कहते हैं दो हिस्से मैं बट गया जिसमे आपकी वालदा काबे के अंदर दाखिल हुवी और इस तरह आप 17 मार्च

* जंगे बद्र का वाक्या ** इस्लाम की पहली जंग *

* जंगे बद्र का वाक्या ** इस्लाम की पहली जंग * 2 हिजरी से ही रमजान के रोज़े फ़र्ज़ किये गए और रमजान की 17 तारीख को यानि 13 मार्च सन 624 को इस्लाम की पहली जंग लड़ी गई जो की “जंगे बद्र” के नाम से जानी जाती है I ये वो दौर था जब पैगम्बरे इस्लाम हुक्मे इलाही लोगो को बताया करते थे और एक अल्लाह की इबादत करने कहा करते थे जिसकी वजह से मक्के के लोग उनकी जान के दुश्मन बन गए थे और आपको आख़िरकार हिजरत कर मक्के से मदीने आना पड़ा आपके साथ आपके चन्द जानिसार साथी थे और ये सभी इबादते इलाही किया करते, नमाज़ पढ़ा करते थे, और रोज़े फ़र्ज़ होने के बाद रोज़े रखा करते थे और हर काम अल्लाह की रज़ा से किया करते थे I तमाम तकलीफों के बावजूद सब्र किया करते थे मगर खुद आगे बढ़कर कभी लड़ाई नहीं की लेकिन इसके बावजूद जब कुफ्फार नबी ए करीम से दुश्मनी की गरज से उन्हें नुक्सान पहुचाने की लगातार कोशिशे की तो अल्लाह ने अपने प्यारे नबी को हुक्म दिया की ए नबी जो तुम्हे तकलीफ पहुचाये तुम उससे जंग करो, और इसके बाद इस्लाम की तारीख में जो सबसे पहली जंग लड़ी गई वो है जंगे बद्र जो मदीने से करीब 80 मील दूर बद्र नामक जगह पर लड़ी गई जिसमे एक तरफ मक्के क

Where is Najd ?

https://youtu.be/-dlhIzwqJ2A       HADITH OF NAJD  Section A:   Narrated Ibn 'Umar: (The Prophet) said, "O Allah! Bless our Sham and our yemen." People said, "Our Najd as well." The Prophet again said, "O Allah! Bless our Sham and yemen." They said again, "Our Najd as well." On that the Prophet said, "There will appear earthquakes and afflictions, and from there will come out the side of the head of Satan." (Book #17, Hadith #147, Bukhari) It can be deduced from the above Hadith that Najd is neither blessed nor a good place but one of Fitna and Evil. Najd has been deprived of the prayers of the Holy Prophet (Sallal Laahu Alaihi Wasallam) and therefore Najd has the seal of misery and misfortune and hoping for any good from there is going against the Will of Allah. The Arabic word used in the above Hadith is Qarnush Shaitaan, which normally means the horn of Shaitaan. But the 'Misbahul Lughaat', a dictionary printed in Deoband